Yuva Divas / Swami vivekanand Story
स्वामी विवेकानंद जी एक युवा शक्ति, जिन्होंने भारतवर्ष को एक नया आयाम दिलाया पूरे संसार में।
हर युवा को, उनके विचार और उनके बारे में जानना ही चाहिए।
उनके जीवन के दृष्टांत हर किसी को पता है, उनमें से हर घटना प्रेरक है और जो हमें आदर्श पथ पर चलने की राह दिखता है।
जब वे विश्व सम्मेलन में जाने वाले थे उस समय उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस की पत्नी शारदा देवी ने उन्हें परखने के लिए उनकी परीक्षा ली।
वह देखना चाहती थी कि उनके गुरु ने सही शिष्य का चुनाव किया है या नही।
परीक्षा इस तरह ली गई कि कोई भी इस परीक्षा को समझ नही सकता था।
जब विवेकानंद जी माता शारदा देवी से मिले तो वे कोई कपड़ा लेकर सिलने के लिए बैठी थी।
तब शारदा देवी जी ने स्वामी विवेकानंद जी से कहा कि जरा मुझे सुई निकाल कर देना।
स्वामी विवेकानंद जी ने सुई निकली, और उस सुई के चुभने वाले नुकीले हिस्से को अपनी तरफ किया और फिर सुई माता शारदा देवी की तरफ बढ़ाया।
माँ शारदा देवी ने स्वामी विवेकानंद को बहुत सा आशीष दिया और बताया कि उन्होंने बस यह देखने के लिए कि उनके गुरु ने सही शिष्य का चुनाव किया है या नही सिर्फ इसी के लिए यह एक छोटी सी परीक्षा ली थी जिसमें वे सफल हुए।
सुई की नुकीली धार को अपने तरफ रखने का यही मतलब था कि वे किसी भी परिस्थिति में हो, जितनी भी परेशानियां होंगी उसका सामना स्वयं करेंगे, अपनी माँ, भारत माँ, अन्य किसी पर आंच न आने देंगे।
जिस व्यक्ति में भी अगर आप उससे चाकू या सुई या अन्य तेज धार वाली वस्तु मांगने पर वह अगर तेज धार को अपने तरफ रखकर दे तो समझले वह एक आदर्श और सब का ध्यान रखने वाला उत्कृष्ट व्यक्ति है।
क्या आप है?
By sujata mishra
#swami #vivekanand #yuva #divas #diwas #youth #day #12jan #मोरल #story #moral #ideal #motivate #needle
हर युवा को, उनके विचार और उनके बारे में जानना ही चाहिए।
उनके जीवन के दृष्टांत हर किसी को पता है, उनमें से हर घटना प्रेरक है और जो हमें आदर्श पथ पर चलने की राह दिखता है।
जब वे विश्व सम्मेलन में जाने वाले थे उस समय उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस की पत्नी शारदा देवी ने उन्हें परखने के लिए उनकी परीक्षा ली।
वह देखना चाहती थी कि उनके गुरु ने सही शिष्य का चुनाव किया है या नही।
परीक्षा इस तरह ली गई कि कोई भी इस परीक्षा को समझ नही सकता था।
जब विवेकानंद जी माता शारदा देवी से मिले तो वे कोई कपड़ा लेकर सिलने के लिए बैठी थी।
तब शारदा देवी जी ने स्वामी विवेकानंद जी से कहा कि जरा मुझे सुई निकाल कर देना।
स्वामी विवेकानंद जी ने सुई निकली, और उस सुई के चुभने वाले नुकीले हिस्से को अपनी तरफ किया और फिर सुई माता शारदा देवी की तरफ बढ़ाया।
माँ शारदा देवी ने स्वामी विवेकानंद को बहुत सा आशीष दिया और बताया कि उन्होंने बस यह देखने के लिए कि उनके गुरु ने सही शिष्य का चुनाव किया है या नही सिर्फ इसी के लिए यह एक छोटी सी परीक्षा ली थी जिसमें वे सफल हुए।
सुई की नुकीली धार को अपने तरफ रखने का यही मतलब था कि वे किसी भी परिस्थिति में हो, जितनी भी परेशानियां होंगी उसका सामना स्वयं करेंगे, अपनी माँ, भारत माँ, अन्य किसी पर आंच न आने देंगे।
जिस व्यक्ति में भी अगर आप उससे चाकू या सुई या अन्य तेज धार वाली वस्तु मांगने पर वह अगर तेज धार को अपने तरफ रखकर दे तो समझले वह एक आदर्श और सब का ध्यान रखने वाला उत्कृष्ट व्यक्ति है।
क्या आप है?
By sujata mishra
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