Singhasan battisi vikramaditya King of Bharat

बातों ही बातों में ध्यान आया, राजाओं के सिंघासन होते थे।

सोने हीरों से जड़ित।

जिस पर बैठने की सोचना भी किसी 2 के बस की बात नही।

एक वीराने में बड़े से टीले पर कुछ बच्चे खेल रहे थे।

कोई राजा तो कोई मंत्री तो कुछ सैनिक और चोर बने थे।

राजा बना बच्चा उस बड़े से टीले पर बैठा और लगा मशला सुलझाने।

कुछ दिन तो आपस में ही बच्चों ने खेली खेल मनमानी।

पर उस राजा बच्चे की न्याय प्रिय थी जबानी।

जब भी बैठ उस टीले पर दिया न्याय एक सत्यवचन सा। दूर 2 से लोग थे आते उससे अब झगड़े सुलझाने। न्याय और सत्य को जाने।

एक बार जो अलग था बैठा, टीले को छोड़ा वह वैसा।

न दे सका न्याय किसी को।

मन का भरोसा जैसे टूटा।

लोगों ने खोदा टीले को ये तो वही बत्तीसी है।

राजा विक्रमादित्य बैठकर जिस पर करते शासन थे। न्याय कूट 2 कर भरी थी जिनके शब्दों के गागर में।

जो सिंघासन बत्तीसी थी न्याय प्रिय अधिकारी थी। जो भी बैठा उस पर जब तक विक्रम और प्रतापी रहा।

बच्चा बड़ा होकर राजा भोज के नाम से प्रसिद्ध हुआ। और सिंघासन सम्राट विक्रमादित्य जी का था।

By sujata mishra

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