Rakshas and Raja ki doordrshita

एक राक्षस अपने लोक से भटकता हुआ दूसरे लोक आ गया।
राक्षस था दूसरे लोक आ वहां उत्पात मचाना चाहता था। सीमा में दाखिल हुआ। यह सोचता कि जो सबसे पहले मिलेगा उसे बंधक बना रखुंगा। अपना सारा काम उससे करवाऊंगा।
बाकी जो बचेंगे उन्हें एक एक कर रोज खाऊंगा।
मनसा उसकी वोही जाने न जाने कितने मन में ठान कर खुश बढ़ चला।

सबसे पहले उस राक्षस की नजर एक घर पर पड़ी जो कि सीमा में वीराने में बनी थी।
राक्षस ने सोचा मेरे लिए आराम के लिए जगह भी मिल गई। और जो इसमें रहता होगा वही मेरा सारा काम करेगा।

पहुँच गया उस घर के अंदर बड़ा सुंदर सा घर बाहर से अंदर से उतना ही गन्दा।
पर राक्षस को बड़ा पसंद आया।
मानो मन चाही मुराद मिल रही हो।

अंदर पहुँच कर आराम करने को जैसे ही बैठने लगा एक जोर की आवाज आई।
उठो और जाकर मेरे लिए खाने का प्रबंध करो।

इतने दिनों से तुम्हरा ही इंतजार कर रहा था।

राक्षस ने नजर उठाई तो उससे कई गुना बड़ा राक्षस उसके मंसूबों पर पानी फेरता हुआ दिखाई दिया।

इधर इस लोक का राजा अपने प्रजा का बहुत ध्यान रखता।
उनकी सुरक्षा के लिए उसने हर सम्भव प्रयास करता।
अपनी मातृभूमि की रक्षा का कर्तव्य सभी पर निहित है। सबको मिलकर पहले से ही आने वाले हर मुसीबत की खबर पहले से ही रखनी होगी और तोड़ हर चीज का है।

By sujata mishra
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