Story of king prithu and prithvi

मनु के वंशज में राजा अंग थे। उनकी पत्नी सुनिथा थी। उनकी एक संतान हुई जिसका नाम उन्होंने वेन रखा। वेन क्रूर था। राजा बनने के बाद वह ऋषि मुनियों को बहुत परेशान करता ।
क्रूर स्वभाव के कारण उसने पूरी धरती पर यज्ञ हवन बन्द करवा दिया।
उसके अत्याचार से दुखी हो ऋषियों ने उसे शाप दे कर और कुशे से मार डाला।
राजा के अभाव में धरती पर त्राहि मच गई।
सुविथा ने पुत्र वियोग में उसके शव का संस्कार भी नही किया था।
तब ऋषी मुनि उस शव के अच्छाइयों को प्राप्त करने हेतु उसका मंथन किया।
मंथन से दो एक नव युवक और एक नवयुवती प्राप्त हुए।
जिनका नाम पृथु और अर्चि था।
पृथु ने ही पूरे धरती को जोत कर समतल किया और नदी पहाड़ झरने बनाये।
राजा पृथु के नाम पर ही धरती को पृथ्वी नाम मिला।

By sujata mishra
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