Life boat and we poem

आँधियाँ क्यूँ चलती है जा मेरी कश्ती से न टकराना
नुकसान मेरा हो गम नही तू बिखड़ गया तो क्या होगा
मेरी कश्ती टूटी टूटी सी है तुझे चुभ गई तो क्या होगा
आँधियाँ किसे पसंद है जबसब के सब तेज आंधियों से है
खुद सा प्यार किसे और कौन आज करता है जब कि
मोह न मोह रहा अब मन से किसी के भी कभी देख
मन यूँही अकेला सा भटकता है जब साज भी है साथ
आवाज भी अभी है साथ शोज और रंग भी साथ देते है
फिर भी आंधियों का रुत मेरी कश्ती को डुबोते है।
ये आँधियाँ भी मेरी अपनी होंगी जब मुझमे इनको सहने की शक्ति होगी डूबी कश्ती भी मौज देगी जब पानी की
सरलता और मेरी सरलता बिल्कुल एक जैसी होगी।
By sujata mishra
#boat #craft #air #simple #poem #hindi #kavita #new #latest #life #moral

Comments

Popular posts from this blog

Vivid Techno: hindi poem - इतनी दूर चले आये

How to register to vote in india

YOGA VS GYM