Story kartvaya bodh

कर्तव्यों का बोध होना भी बहुत जरूरी है।
अगर बोध नही है तो वह कोई भी कार्य न करें जिससे आपकी वजह से दूसरों को कष्ट हो।
आज आपने कष्ट दे कर शुरुआत कर दिया तो कल जो कष्टों का प्रहार आप पर होगा वह अकल्पनीय होगा।
अंत बुरे का होता है और अच्छाई अंत में ही विजयी होती है।
आज एक राजा को जो सर्वप्रिय था, बन्दी बना लिया गया।
शासन की बाग़डोर हाथ में आते ही शत्रुपक्ष राजा को मारने की तैयारी में जुड़ गया।
शत्रुपक्ष वही था जो राजा के बहुत करीब था। सत्ता हथियाने और लोभ ने आंखे और मन को बे लगाम कर दिया था।
राजा की लोकप्रियता के चलते मृत्यु को जितनी तल्लीनता से बुलाया गया हो वह कार्य हो रहा था।
शत्रु ने जल्दबाजी में घोषणा कर दी आज ही राजा को मार कर विजय पताका लहराना है।
भरी भीड़ में प्रजा के सामने राजा को मारने का फैसला किया गया।
राजा तो राजा था निडर खड़ा था, चारों तरफ प्रजा को देखता आंखों से हुंकारता।
और प्रजा ने उस हुँकार को सुन अपने राजा को बचाने के लिए हर एक तैयारी कर रखी थी।
उनकी आन बान शान को कम कौन करें जिनके लिए इतने लोग हो जान लिए खड़े।
कर्तव्यों का बोध उस प्रजा को था जिनका राजा विषम परिस्थिति में था।
क्योंकि उनका राजा उनके विषम परिस्थिति में उनके साथ था।
कर्तव्यों का बोध हर इंसान को होना चाहिए जो किसी से किसी प्रकार भी जुड़ा है। कर्तव्यों का बोध न हो तो, कभी न जुड़े हो तो कभी न जुड़े।
और जुड़ गए तो जुड़े रहे आखिरी वख्त तक।
By sujata mishra
#moral #story #responsibility #wisdom #last #time #adversity #with #stand #king #love #hindu

Comments

Popular posts from this blog

Vivid Techno: hindi poem - इतनी दूर चले आये

How to register to vote in india

YOGA VS GYM