Bharat Education system drawbacks
भारत के आने वाले नए बच्चों की बात करें तो कोई भी पढ़ने में ज्यादा रुचि नही ले रहे।
रोज हर किसी से सुनने में मिलता है कि मेरा बच्चा दिन भर tv या mobile में लगा रहता है।
ऐसा नही है कि पहले बच्चे नही खेलते थे। उस दौर में भी बच्चे खेलते थे।
खेलने में पूरा दिन गुजार देते थे स्कूल से आने के बाद।
पर जब स्कूल में होते थे तो जितने देर ही पर पढ़कर समझकर ही लौटते थे।
एक स्कूल टीचर ही स्कूल में सब पढ़ा देते।
किताबों में नायकों की शिक्षा प्रद कहानियां होती थी। आचार विचार की बातें संस्कृति की बातें सब स्कूल में ही सीख लेते।
पर आज की किताबों की तुलना की जाये तो भारतीय नायकों की बजाय चिंन चुंग नायक ज्यादा दिखे।
क्यों पढ़े बच्चे इन्हें ?
इन्हें पढ़ने से better वे कुछ और कर ले जो already they are doing...
By sujata mishra
#change #study #materials #education #department #government #appeal
रोज हर किसी से सुनने में मिलता है कि मेरा बच्चा दिन भर tv या mobile में लगा रहता है।
ऐसा नही है कि पहले बच्चे नही खेलते थे। उस दौर में भी बच्चे खेलते थे।
खेलने में पूरा दिन गुजार देते थे स्कूल से आने के बाद।
पर जब स्कूल में होते थे तो जितने देर ही पर पढ़कर समझकर ही लौटते थे।
एक स्कूल टीचर ही स्कूल में सब पढ़ा देते।
किताबों में नायकों की शिक्षा प्रद कहानियां होती थी। आचार विचार की बातें संस्कृति की बातें सब स्कूल में ही सीख लेते।
पर आज की किताबों की तुलना की जाये तो भारतीय नायकों की बजाय चिंन चुंग नायक ज्यादा दिखे।
क्यों पढ़े बच्चे इन्हें ?
इन्हें पढ़ने से better वे कुछ और कर ले जो already they are doing...
By sujata mishra
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