Death / Mrityu facts of mind
हम सभी को जैसी जिंदगी जीनी है जैसा रहन सहन रखना है सब कुछ हमारी सोच पर निर्भर करती है।
हमारे चारों तरफ जो घटनाएं घटती है उससे प्रेरित हो या न होकर हम जो भी कर्म करते है, उससे हमारी जिंदगी आगे बढ़ती है।
क्योंकि जो कार्य हमारा ज़मीर मना कर दे वह हम कुछ भी हो जाये नही करेंगे।
पर किसी और के लिए वहीं कार्य रुपयों के एवज में सुखद होगा।
इस तरह हर मनुष्य अपने कर्मों से अपने जीवन को रूप देता है।
हर मनुष्य का जीवन उसके मस्तिष्क में डाले गए बीजों का रूप होता है।
एक बुद्धिजीवी ने पहले ही अपने जीवन के मार्ग को चुन लिया होता है जबकि एक निकृष्ट मनुष्य तिरष्कार सहकर भी उसी जीवन को जीता है जो उसे चाहिए।
ठीक इसी प्रकार, मृत्यु के लिए भी जो व्यक्ति पहले से ही सोच ले कि उसे किस प्रकार की मृत्यु चाहिए तो यह भी उसके अनुसार ही कार्य करता है।
भगत सिंह जी और चंद्र शेखर आज़ाद जी उन्होंने पहले ही सोच लिया था कि उन्हें अपनी जान देश हित में देनी है।
स्वामी विवेकानंद जी ने पहले ही समाधि से अपने देह का त्याग कर दिया अपने सभी कार्यों का संपादन समय पर कर।
A p j कलाम जी ने पहले ही दिमाग में बैठा रखा था कि उनकी मृत्यु उनके बच्चों के सामने पढ़ाते हुए हो और हुआ भी वही।
हर मनुष्य को अपने जीवन चक्र का संपादन कैसे और किन मूल्यों पर करना है यह सब उसके विचारों के बीज पर निर्भर करता है अपितु जिंदगी जीनी है या मृत्यु कैसे पानी है।
By sujata mishra
#life #story #real #moral #death #jeevan #mrityu #seeds #learn #aawara #mind #samaadhi #bhagat #singh #chandra #shekhar #aazaad #apj #kalam
हमारे चारों तरफ जो घटनाएं घटती है उससे प्रेरित हो या न होकर हम जो भी कर्म करते है, उससे हमारी जिंदगी आगे बढ़ती है।
क्योंकि जो कार्य हमारा ज़मीर मना कर दे वह हम कुछ भी हो जाये नही करेंगे।
पर किसी और के लिए वहीं कार्य रुपयों के एवज में सुखद होगा।
इस तरह हर मनुष्य अपने कर्मों से अपने जीवन को रूप देता है।
हर मनुष्य का जीवन उसके मस्तिष्क में डाले गए बीजों का रूप होता है।
एक बुद्धिजीवी ने पहले ही अपने जीवन के मार्ग को चुन लिया होता है जबकि एक निकृष्ट मनुष्य तिरष्कार सहकर भी उसी जीवन को जीता है जो उसे चाहिए।
ठीक इसी प्रकार, मृत्यु के लिए भी जो व्यक्ति पहले से ही सोच ले कि उसे किस प्रकार की मृत्यु चाहिए तो यह भी उसके अनुसार ही कार्य करता है।
भगत सिंह जी और चंद्र शेखर आज़ाद जी उन्होंने पहले ही सोच लिया था कि उन्हें अपनी जान देश हित में देनी है।
स्वामी विवेकानंद जी ने पहले ही समाधि से अपने देह का त्याग कर दिया अपने सभी कार्यों का संपादन समय पर कर।
A p j कलाम जी ने पहले ही दिमाग में बैठा रखा था कि उनकी मृत्यु उनके बच्चों के सामने पढ़ाते हुए हो और हुआ भी वही।
हर मनुष्य को अपने जीवन चक्र का संपादन कैसे और किन मूल्यों पर करना है यह सब उसके विचारों के बीज पर निर्भर करता है अपितु जिंदगी जीनी है या मृत्यु कैसे पानी है।
By sujata mishra
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