Satisfaction moral story

जल ही जल चहुँ ओर है,
फिर भी सजल हुए न नैन
सखीे कि हसीं जो देखिए
आप ही सजल हुए दो नैन।
एक गाँव में गरीब परिवार बड़ी ही मुश्किल से पेट पालता था।
बड़ी कठिनाई से गुजर चल रही थी। तो एक दिन गरीब ने सोचा इस गांव को छोड़ किसी और जगह कमाने को जाना चाहिए।
यह सोच उसने सारा सामान बांध परिवार को ले दूसरे गांव आ गया।
जैसे ही दूसरे गांव आया पहले गांव में बाढ़ आ गई। सारे लोग जान से हाथ धो बैठे।
उस गरीब को भी दुख हुआ, कि कितने जाने पहचाने लोग अब न रहे।
पर आंखों में आंसूं न आये।
दूसरे गांव में गुजर बसर कर रहा था तभी एक दिन एक मित्र भी उसी गांव में दिख गया।
हाल चाल पूछा और उसके ठाठ जो दिखे तो वह अंदर ही अंदर असंतुष्ट हो गया। यह भी न सोच सका की किन परिस्थितियों में या कैसे यह सब उसे मिला। आज सबकुछ था पर लोग नही थे खर्च करने को। पर
कहाँ वह और कहां मैं।
आज आंखे सजल थी।
पर उसका मित्र सब कुछ होते हुए भी तन्हा था। बाढ़ उसका सारा परिवार खुद में समेट ले गया था।
फर्क और समझ परिस्थितियों की न हो तो जीवन का आधार पक्का भी हो हिल जाता है।
By sujata mishra
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