immorality story

एक ऐसा जीवन मिला कि जन्म लेते रहे मरते रहे फिर जीते फिर मरते।
यह क्रम चलता ही रहा।
वह मनुष्य कुछ भी करता उसे मुक्ति ही नही मिलती।
हर जीवन में कुछ न कुछ भूल चूक हो ही जाती।
हर जीवन में सुधार करता करता वह ऐसा हो गया कि मूक बन गया।
कोई कुछ भी कह देता कर देता उसे कोई फर्क नही पड़ता।
वह अपने कार्य में तल्लीन रहता।
फिर मृत्यु का समय इस बार उसे लगा अब मुक्ति मिल जाएगी।
पर इस बार भी नया जन्म ।
अब तो सारे तरीके वह अपना चुका था। कोई और रास्ता तो नजर न आया।
पर पिछले जन्मों में अपने आपको सुधारने की जो कोशिश की वह उसे खुद को गौरवान्वित कर रही थी इस जन्म में।
अपने आप को तुच्छ समझ वह खुद से मुक्त न हो पा रहा था।
और यह स्थिरता आते ही कि वह सबसे श्रेष्ठ है उसे मुक्ति मिल गई।
By sujata mishra
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