Hindi poem - आप हम और वो।
ये मुलाकात छोटी सी जिंदिगी की,
आप हम और वो।
दूर पखवाजों की ध्वनियां हौसलों को
बढाती वो कड़ियाँ।
हमसे मिलकर न बदलना इतना की जीने
मरने की तरफ बढ़ना।
यूँहीं चीजें अकसर मिल जाती है जब
जरुरत नही होती उनकी।
कहीं आँखों में नमी इसलिए तो नही कि
आप हम और वो साथ नही।
By sujata mishra
Dedicated to your faith, love and go
आप हम और वो।
दूर पखवाजों की ध्वनियां हौसलों को
बढाती वो कड़ियाँ।
हमसे मिलकर न बदलना इतना की जीने
मरने की तरफ बढ़ना।
यूँहीं चीजें अकसर मिल जाती है जब
जरुरत नही होती उनकी।
कहीं आँखों में नमी इसलिए तो नही कि
आप हम और वो साथ नही।
By sujata mishra
Dedicated to your faith, love and go
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