hindi poem - इतनी दूर चले आये
hindi poem - इतनी दूर चले आये
इतनी दूर चले आये इस मन से लिपटे साये।
कठोर सीभूमि थी मेरी फिर भी सिमटे आये।
जोे साथ निभाया मरते दम तक नजर आये।
दूर हो जायेे दुनियां इतनी कि वो सफर पाये।
जिस मंजिल को हासिल कर ईश्वर तुम्हे पाये।
रोज 2 की कहानियां अब लुभाती नही मुझे।
कुछ ऐसा कर सारी कहानियां अब मिट जाये।
न मैं हिस्सा बनु किसी का और न तू बना पाये।
By sujata mishra
इतनी दूर चले आये इस मन से लिपटे साये।
कठोर सीभूमि थी मेरी फिर भी सिमटे आये।
जोे साथ निभाया मरते दम तक नजर आये।
दूर हो जायेे दुनियां इतनी कि वो सफर पाये।
जिस मंजिल को हासिल कर ईश्वर तुम्हे पाये।
रोज 2 की कहानियां अब लुभाती नही मुझे।
कुछ ऐसा कर सारी कहानियां अब मिट जाये।
न मैं हिस्सा बनु किसी का और न तू बना पाये।
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