Posts

Showing posts from January, 2017

Just left poem

Whatever you like when you get just Left it. Whatever you love when you get just Left it. Then see your past see your present Difference of life you met Do the work to get your goal and when You reached then threat it Whatever you like when you get just Left it. Whatever you love when you get just Left it. Its not easy to break your habbit but Not difficult to throw it Pull the power you have to make new Habbit ride to old Whatever you like when you get just Left it. Left it its not easy but not difficult to Say good bye to all. By sujata mishra

Vivid Techno: Story - विश्वास की सकारात्मकता

Vivid Techno: Story - विश्वास की सकारात्मकता : एक राजा था। उसके राज्य में सभी प्रजा सुखी थी। दरिद्रता निर्धनता दुःख इन सब का आभाव सा था। राजा अपनी प्रजा और प्रजा राजा के प्रति ईमानदारी प...

Story - विश्वास की सकारात्मकता

एक राजा था। उसके राज्य में सभी प्रजा सुखी थी। दरिद्रता निर्धनता दुःख इन सब का आभाव सा था। राजा अपनी प्रजा और प्रजा राजा के प्रति ईमानदारी पूर्वक कार्यरत थे। पर कहते है सुख और दुःख की धूप छाँव सभी के जीवन में लगे रहते है। अचानक ही एक दिन तेज बारिश शुरू हो गई जो रुकने का नाम ही नही ले रही थी। तेज बारिश की वजह से फसल तो नष्ट हो ही चुके थे अब लोगों के घर भी बहने लगे। राजा ने सोचा जब तक बारिश रुक नही जाती जरूरतमंदों को राज महल में जगह दी जाये। सारे राज्य में घोषणा करवा दी गई जिन लोगों के घर बाह चुके थे वे राज महल में आ गैये। पर बारिश तो अब भी उफ़ान पर था लगता था राज्य का सब कुछ ले जाने को तैयार बैठा था। राजा और प्रजा सभी परेशान थे कि सभी तरह की दैवीय आशीर्वाद मिले राज्य को ये क्या हो रहा है। कभी राजा ने किसी का अनिष्ट नही किया प्रजा सभी तरह से संतुष्ट थी। सुख समृद्धि हर जगह व्याप्त थी फिर यह अनिष्ट क्यूँ। बारिश ने ऐसी भयंकर स्थिति कर ली कि सारी प्रजा को राजप्रासाद में शरण लेनी पड़ी। राजा ने सभी प्रजा को एक जगह बुलवाया और कहा - जैसा कि आप सब देख रहे है इस आपदा से मैं जितना कर सकता था...

Vivid Techno: Hindi poem - हर रोज सिपाही की ख़ामोशी

Vivid Techno: Hindi poem - हर रोज सिपाही की ख़ामोशी : हर रोज सिपाही की ख़ामोशी  कब तक हम स्वीकार करे। आओ सब मिलकर भारत में इसका हम प्रतिकार करे। यूँ बलिदानों की भूमि भी  रक्तरंजित हो जाती है। जै...

Hindi poem - हर रोज सिपाही की ख़ामोशी

हर रोज सिपाही की ख़ामोशी  कब तक हम स्वीकार करे। आओ सब मिलकर भारत में इसका हम प्रतिकार करे। यूँ बलिदानों की भूमि भी  रक्तरंजित हो जाती है। जैसे आँखों का नमियां भी आंसूं के न मोल सहे। टूटे पत्ते साखों से उस ओर चले उस ओर चले। छवि को धूमिल न करना वो मातृभूमि पर बलिदान हुए। सब कुछ वो न्योछावर कर हमको वो कर्जदार करे। सत सत् नमन। By sujata mishra

Vivid Techno: Hindi poem - आप हम और वो।

Vivid Techno: Hindi poem - आप हम और वो। : ये मुलाकात छोटी सी जिंदिगी की, आप हम और वो। दूर पखवाजों की ध्वनियां हौसलों को बढाती वो कड़ियाँ। हमसे मिलकर न बदलना इतना की जीने मरने की तरफ ...

Hindi poem - आप हम और वो।

ये मुलाकात छोटी सी जिंदिगी की, आप हम और वो। दूर पखवाजों की ध्वनियां हौसलों को बढाती वो कड़ियाँ। हमसे मिलकर न बदलना इतना की जीने मरने की तरफ बढ़ना। यूँहीं चीजें अकसर मिल जाती है जब जरुरत नही होती उनकी। कहीं आँखों में नमी इसलिए तो नही कि आप हम और वो साथ नही। By sujata mishra Dedicated to your faith, love and go

Vivid Techno: hindi poem - जिंदगी खूबसूरत है, इस कदर

Vivid Techno: hindi poem - जिंदगी खूबसूरत है, इस कदर : hindi poem - जिंदगी खूबसूरत है, इस कदर जिंदगी खूबसूरत है, इस कदर है कि जैसे मुझे तेरी जरुरत है मिटटी को हाथों के हुनर कि तलब हो जैसे वैसे...

hindi poem - जिंदगी खूबसूरत है, इस कदर

hindi poem - जिंदगी खूबसूरत है, इस कदर जिंदगी खूबसूरत है, इस कदर है कि जैसे मुझे तेरी जरुरत है मिटटी को हाथों के हुनर कि तलब हो जैसे वैसे ही जरूरत है जमीं पर बीजों से बनी खिलती कलियों हवाओं की जरूरत है खुशबू बिखरे जब हवाओं से आसमांनो से सजी ताज जरूरत है मिटटी से रची मैं तुम आसमान से हो रचे कि मुझे तेरी जरूरत है जरूरत एक सरपरस्त की आवाज की आगाज की वो जरूरत है एक प्यार की बारिश की माँ की हो वो ही तो अब सबको जरूरत है। By sujata mishra

Vivid Techno: hindi poem - तू दिखता है शामों शहर

Vivid Techno: hindi poem - तू दिखता है शामों शहर : hindi poem - तू दिखता है शामों शहर तू दिखता है शामों शहर फिर भी अकेला है वो  वो जो बातों से जीत ले जीत लेता है सबका मन मन की तेरे मंदिर म...

hindi poem - तू दिखता है शामों शहर

hindi poem - तू दिखता है शामों शहर तू दिखता है शामों शहर फिर भी अकेला है वो  वो जो बातों से जीत ले जीत लेता है सबका मन मन की तेरे मंदिर में ये कौन सा दिया किसका है है वो किनारा दूर अभी क्यों कर इसे छोड़ा है यहां यहाँ मेरी मंजिले मेरी तक़दीर जहाँ लौट आएगा पल पल हर क्षण जहाँ वो बीते हुए कल लौटा ले आया जहाँ से चले थे खत्म भी वही पर लो आज हुआ। बरसों कदम चलते है फिर भी थकते नही जब से तुम्हारी लेखनी से मेरी कदमों की कहानियाँ बनी। By sujata mishra

Vivid Techno: Poem hindi - मृत्यु न समझा जब तक

Vivid Techno: Poem hindi - मृत्यु न समझा जब तक : Poem hindi - मृत्यु न समझा जब तक मृत्यु न समझा जब तक किसी ने स्वयं न देखा। दुःख न होगा जब तक किसी ने स्वयं न भोगा। पथ बदलना आ जाता है जब ...

Poem hindi - मृत्यु न समझा जब तक

Poem hindi - मृत्यु न समझा जब तक मृत्यु न समझा जब तक किसी ने स्वयं न देखा। दुःख न होगा जब तक किसी ने स्वयं न भोगा। पथ बदलना आ जाता है जब पथ पर काटें चुभे। सत्य कहना आ जाये जब चोट इस मन पर लगे। रखा है क्या समेट कर जो कह सके ये तेरा मेरा है नाम पर इतरा रहा तो छल का खेल एक खेला है। मन्त्रणा ये सुन रहा जो वो मौन मन का चेहरा है । गहरे गहरे रात का ही हा तुमसे ही बनता सवेरा है। बदलती समझती सुनती बनती भोगती मन ये मैला। By sujata mishra

Vivid Techno: Poem in hindi - जब मैं नही हूँ

Vivid Techno: Poem in hindi - जब मैं नही हूँ : Poem in hindi - जब मैं नही हूँ  जब मैं नही हूँ मेरे पीछे मेरी कहानियां है जब मैं नही हूँ मेरे पीछे मेरी पहचनियां है जब मैं नही हूँ...

Vivid Techno: hindi poem - इतनी दूर चले आये

Vivid Techno: hindi poem - इतनी दूर चले आये : hindi poem - इतनी दूर चले आये इतनी दूर चले आये इस मन से लिपटे साये। कठोर सीभूमि थी मेरी फिर भी सिमटे आये। जोे साथ निभाया मरते दम तक नजर आ...

hindi poem - इतनी दूर चले आये

hindi poem - इतनी दूर चले आये इतनी दूर चले आये इस मन से लिपटे साये। कठोर सीभूमि थी मेरी फिर भी सिमटे आये। जोे साथ निभाया मरते दम तक नजर आये। दूर हो जायेे दुनियां इतनी कि वो सफर पाये। जिस मंजिल को हासिल कर ईश्वर तुम्हे पाये। रोज 2 की कहानियां अब लुभाती नही मुझे। कुछ ऐसा कर सारी कहानियां अब मिट जाये। न मैं हिस्सा बनु किसी का और न तू बना पाये। By sujata mishra

Poem in hindi - जब मैं नही हूँ

Poem in hindi - जब मैं नही हूँ  जब मैं नही हूँ मेरे पीछे मेरी कहानियां है जब मैं नही हूँ मेरे पीछे मेरी पहचनियां है जब मैं नही हूँ मेरे पीछे मेरी झूठी तस्वीरें है जब मैं नही हूँ मेरे पीछे मेरी खामोश आवाज है जब मैं नही हूँ मेरे पीछे मेरी सीधी सच्चाई नही है जब मैं नही हूँ मेरे पीछे मेरी परछाई भी नही है जब मैं नही हूँ मेरे पीछे मेरी शान शौकत नही है जब मैं नही हूँ मेरे पीछे मेरी याद भी नही है जब मैं नही हूँ मेरे पीछे मेरी सारी चीजे बेकार है और जहाँ मैं हूँ वहां शून्य अनंत असीम उसका एक दरबार है By sujata mishra