hindi poem - जिंदगी खूबसूरत है, इस कदर
hindi poem - जिंदगी खूबसूरत है, इस कदर
जिंदगी खूबसूरत है, इस कदर है कि जैसे मुझे तेरी जरुरत है
मिटटी को हाथों के हुनर कि तलब हो जैसे वैसे ही
जरूरत है
जमीं पर बीजों से बनी खिलती कलियों हवाओं की
जरूरत है
खुशबू बिखरे जब हवाओं से आसमांनो से सजी ताज
जरूरत है
मिटटी से रची मैं तुम आसमान से हो रचे कि मुझे तेरी
जरूरत है
जरूरत एक सरपरस्त की आवाज की आगाज की वो
जरूरत है
एक प्यार की बारिश की माँ की हो वो ही तो अब सबको
जरूरत है।
By sujata mishra
जिंदगी खूबसूरत है, इस कदर है कि जैसे मुझे तेरी जरुरत है
मिटटी को हाथों के हुनर कि तलब हो जैसे वैसे ही
जरूरत है
जमीं पर बीजों से बनी खिलती कलियों हवाओं की
जरूरत है
खुशबू बिखरे जब हवाओं से आसमांनो से सजी ताज
जरूरत है
मिटटी से रची मैं तुम आसमान से हो रचे कि मुझे तेरी
जरूरत है
जरूरत एक सरपरस्त की आवाज की आगाज की वो
जरूरत है
एक प्यार की बारिश की माँ की हो वो ही तो अब सबको
जरूरत है।
By sujata mishra
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