पैसों का संस्कार
एक मनुष्य का जन्म हुआ, बहुत गरीब परिवार में। माता पिता ने बहुत मेहनत की पढ़ाने लिखाने में, बच्चे को समझ ही नही आया। पढ़ाई में मन नही लगा। बड़ा हुआ अब माता पिता बूढ़े हो रहे थे। बची खुची कमाई भी खत्म हो रही थी।
लड़का ये किस जगह जन्म मिला। किसी राजा के घर होता तो सब कुछ मिलता। अब माता पिता जोर डालने लगे जाकर कुछ कमा, पर वो तो उन्हें ही ताने मारता आप ने मेरे लिए कुछ नही किया।
घर से निकलता ही नही। आपने मेरे लिए कमा कर क्यों नही रखा। माता पिता से जो बन पड़ता करते। जीवन समाप्ति पर था। एक दिन काम करते पिता की मृत्यु हो गई। माता इस घटना को सुन कर ही काल ग्रस्त।
लड़के को बड़ी चिंता होने लगी। अब मुझे कौन खिलायेगा। काम कौन करेगा। खाना कौन बनाएगा। ऊपर बैठे भगवान के पास जब माता पिता पहुँचे तो भगवान ने माता पिता से पूछा ।
आपके बेटे को अब सबक मिलेगा। जब तक आप थे आपको ताने मारता रहा।
माता पिता अपने बच्चे की व्यथा सुनकर रो पड़े। वे भगवान से विनती करने लगे उनके पुत्र पर दया करे। औरों की तरह उसे भी सुधरने का मौका दे। भगवान ने एक मौका दे दिया।
उनके माता पिता को जीवन दान दिया और पैसे देकर बेटे के पास पहुँचा दिया।
बेटे को पैसे देते हुए वे बोले लो अब इन पैसों से जो मन करे वो करो। बेटे ने दुबारा माता पिता को घर मे देखा तो भगवान से मन में बोल उठा - पैसे मांगे थे, माता पिता नही।
क्या करे एक भगवान, एक माता पिता।
By sujata mishra
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