Posts

Showing posts from September, 2017

फ्रेंडशिप

शाम सी गुजर गई, न थम सकी इक पल सुलझे हुए धागे जब तक है साथ तक रखना न दिल न दिमाग में कभी भी हाँ याद कर लेना उस समय जब भी पल हो तुम्हारे लम्बे लम्हे भी हो बडे हाँ वख्त काटना जब मुश्किलें लगे। उस वख्त आवाज देना जब ठोकरे मिले अक्सर आते जाते जन्मो के कर्म को देखा है झुकते रुकते गैरों पे हमने क्यूँ? दोस्ती की दीवार लड़ लेती है सबसे क्यों न हम तुम दोस्ती की इक नई मिशाल दे। By sujata mishra #poem #life #trust #friendship