Karmo ke fal ache or bure
एक राजा था। उनके जो भी पुत्र हुए उसके नेत्र नही थे। अब परेशानी ये आ गई कि राजा के बाद वारिस कैसे आगे राज्य चलाएंगे। लगातार चार पुत्रों की इस समस्या से परेशान राजा को कुछ समझ नही आ रहा था। जन्मजात अंधे पुत्रों का वैद्यों ने ठीक होना भी मना कर दिया कि जन्मजात अन्धे है इनका इलाज नही होगा। राजा थक हार चुका था। उसने सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दिया। समय बीत रहा था । मंत्री का बेटा भी बड़ा हो रहा था उन राजकुमारों के साथ ही रहता था। एक दिन एक सन्यासी राजा के बाग से गुजर रहा था। उसने चारों राजकुमारों को गाते सुना। उनकी मीठी बोली सुन प्रसन्न हो सुनता ही रहा। उसने उनसे पूछा कि ये कहाँ से सीख तो उन्होंने कहा हम देख नही सकते, पर हमने अपने बोलने की शक्ति को जागृत किया। और हम चारों इस विद्या में एक दूसरे के गुरु है। मंत्री के बेटे से उसने पूछा कि आप किस विद्या में निपुण हो? तो उस घमंडी बालक ने कहा - मैं क्या करूँगा ये सब करके। इनके पास आंखे नही है इसलिए ये गा कर समय व्यतीत करते है। मेरे पास तो आंखे है, मैं क्यों यह करू। और अब तो राज काज भी मैं ही देखूंगा। इतना सुनते ही सन्यासी ने अपनी आंखें ब...